Thursday , 25 September 2025
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Exclusive : हाल-ए-दून मेडिकल कॉलेज : PRO ऑफिस का रोना, बेडशीट नहीं मिल पाएगी, स्वास्थ्य मंत्री का एक्शन…पढ़ें पूरी खबर

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)

दिन 6 मई शनिवार। समय लगभग 5 बजे। मैं दून मेडिकल कॉलेज (अस्पताल) में भर्ती किसी मरीज का हाल जानने पहुंचा। मरीज को गायनी वार्ड में पहली मंजिल पर भर्ती कराया गया था। वहां, पहुंचा तो नजारा देखकर हिल गया। उस वार्ड में आलम यह था कि मरीजों को कोई पूछने वाला नहीं। पोछा भी नहीं लगा था। टॉयलेट की ओर गया, जैसे गया था, वैसे ही वापस लौट आया। जिस मरीज को देखने गया था। उनको तब तक एक बेड दे दिया गया था।

बेडशीट के बगैर

यहां तक तो ठीक था…लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने दिमाग हिला दिया। बेडशीट के बगैर ही मरीज को लेटने के लिए कह दिया गया। पूरे वार्ड में एक मात्र नर्स थी। उनसेे तीन-चार बार कहा…नर्स ने अपने मजबूरी बताई कि उनके पास है ही नहीं, तो कहां से देंगी। साथ ही यह भी बोलीं कि कुछ देर में सीनियर स्टाफ आएगा, वहीं चादर देंगे। इंतजार किया, लेकिन रहा नहीं गया।

एक मित्र को फोन लगाया

फिर तिमारदार से पत्रकार वाली भूमिका में आ गया। अपने एक मित्र को फोन लगाया। उन्होंने बगैर देर किए हुए दून मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की ओर से तैनात जशवंत रावत का नंबर दिया। मैंने तत्काल उनको फोन किया। उन्होंने एक और नंबर दिया नाम था विजय राज…। उनको फोन किया। पहली बार में कहा कि अभी व्यवस्था कराता हूं। कोई व्यवस्था नहीं हुई। फिर कुछ देर बाद विजय राज ने कहा कुछ नहीं हो सकता वो अस्पताल से निकल गए हैं।

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बेडशीट गीली हैं, नहीं मिल सकती

इसी बीच करीब पौने सात बजे दून मेडिकल कॉलेज पीआरओ दफ्तर से भी एक फोन कॉल आया था। उनको भी वही समस्या बताई गई। फिर से वही भरोसा कि अभी व्यवस्था कराते हैं…हुआ कुछ नहीं। उनको फिर फोन किया। इस बार भी भरोसा मिला, लेकिन बेडशीट का इंतजार करते-करते तीन घंटे हो गए। उस वक्त मैं दंग रह गया, जब दून मेडिकल कॉलेज पीआरओ आफिस से कॉल आता है कि पिछले कुछ दिनों से बारिश हो रही थी। सारी बेडशीट गीली हैं, नहीं मिल सकती। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दून मेडिकल कॉलेज का क्या हाल है। यहां मरीज कैसे सरवाइव करते होंगे। कैसे बगैर बेडशीट के रहते होंगे।

वीडियो और फोटो स्वास्थ्य मंत्री के दफ्तर को भेजे

फोन कॉल के सिलसिले के बीच में मैंने कुछ वीडियो और फोटो स्वास्थ्य मंत्री के दफ्तर को भेज दिए। उनके पीआरओ राकेश नेगी को फोन कॉल भी किया, लेकिन ना तो फोन उठा और ना कोई मैसेज मिला। लेकिन, इस बीच अचानक से पूरे गायनी वार्ड में हलचल सी होने लगी। सफाई वाले भी आए। झाड़ू भी लगा, पोछा भी लगा। टॉयलेट में भी सफाई हुई, लेकिन बेडशीट का अब भी इंतजार हो रहा था।

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घर से उठकर अस्पताल आना पड़ा

इस बीच मैं विदा लेकर बाहर की ओर आ गया। तभी मुझे अंदर से फोन आता है कि किशकायत किसने की। वो कोई सीनियर नर्स थी, जिनको घर से उठकर अस्पताल आना पड़ा। हैरत की बात तो यह है कि वार्ड में ड्यूटी पर तैनात नर्स इस बात से ही मुकर गई कि उनसे किसी ने बेडशीट मांगी ही नहीं और उन्होंने देने से भी इंकार नहीं किया। बात सुनकार मुझे गुस्सा आ गया। बाद में वो भी मान गई कि हां उनसे बेडशीट मांगी गई थी। इस बीच जैसे ही मैं घर पहुंचा मरीज का फोन आया कि उनको दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। व्यवस्था भी पहले से बेहतर है।

क्या मेडिकल कॉलेज का हाल ऐसा ही रहेगा?

मेरी व्यवस्थाएं मेरी मित्रता और जान-पहचान से हो गई। लेकिन, सवाल इस बात का है कि क्या मेडिकल कॉलेज का हाल ऐसा ही रहेगा। स्वास्थ्य मंत्री के दावों को मेडिकल कॉजेल और उनका पूरा सिस्टम क्यों पलीता लगा रहा है। ऐसे लोग मरीजों की क्या मदद करेंगे, जिनसे एक बेडशीट तक उपलबध नहीं करवाई जा सकी। आखिर ऐसे लोगों को किस बात का वेतन दिया जा रहा है। क्यों ऐसे लोग स्वास्थ्य मंत्री की छवि को धूमिल कर रहे हैं?

बीमार होने का खतरा

गायनी वार्ड बहुत संसेटिव होता है। नवजात बच्चे होते हैं। प्रसव के बाद महिला का विशेष ख्याल रखे जाने की जरूरत होगी। लेकिन, यहां सबकुछ उल्टा है। गंदगी के अंबार लगे हैं। दीचारों पर कहीं सीलन है, तो कहीं से सीमेंट गिरा हुआ है। बेडों की हालत बेहद बुरी है। बेडों से उठाई गई चादरों का ढेर वहीं सामने की ओर रखे कूड़ेदानों के ऊपर लगा रहता है। ऐसे में नवजात बच्चों के साथ ही महिलाओं के बीमार होने का खतरा बना रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री ने लिया एक्शन
मेरी शिकायत के बाद जो भी हलचल हुई। छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े डॉक्टर तक जो भी एक्शन में नजर आए। जानकारी मिली की स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने पूरे मामले का संज्ञान लिया और कड़ी फटकार लगाई है। उन्हीं की फटकार का असर था कि अस्पताल में सभी अपने काम में जुट गए। लेकिन, सवाल यह है कि क्या बगैर जान-पहचान के लोगों को ऐसे ही अस्पताल में गंदगी के बीच रखा जाएगा। जिस गायनी वार्ड की बात कर रहा हूं, उसके पूरे कायाकल्प की जरूरत है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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